Kalanamak Rice:काला नमक चावल में कौन-कौन से पोषक तत्व की उपस्थित होते हैं? जानें क्यों कहा जाता है इसे सुपरफूड?

काला नमक चावल (Kalanamak Rice) में कौन-कौन से पोषक तत्व की उपस्थित होते हैं? जानें क्यों कहा जाता है इसे सुपरफूड?

काला नमक चावल: काला नमक चावल, धान की एक पारंपरिक किस्म है, इसके बारे में ऐसा कहा जाता है कि काला नमक चावल का 600 वर्षों पहले से हमारे देश में पाया जाता है और इसे भगवान बुद्ध Lord Buddha के महाप्रसाद या द बुद्धा राइस (The Buddha Rice) भी कहा जाता है। इसे श्रावस्ती के लोगों के लिये ‘भगवान बुद्ध का उपहार’ माना जाता है जब उन्होंने ज्ञान के बाद इस क्षेत्र का दौरा किया था।

पारम्परिक खेती में यह उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) और नेपाल (Nepal) के तराई के हिस्सों में उगाया जाता है। काला नमक चावल की पहचान इसकी काली रंग की भूसी या बाहरी कवर से होती है। इसके अलावा काला नमक चावल का अरोमा या सुगंध भी बहुत खास होती है।

काला नमक चावल धान के बारे में सामान्य परिचय

कालानमक धान की एक पारंपरिक किस्म है जिसमें काली भूसी और तेज़ सुगंध होती है।इसे ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ (ODOP) योजना के तहत सिद्धार्थनगर के ओडीओपी उत्पाद के रूप में सम्मानित किया गया है जो उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में स्थित एक आकाँक्षी ज़िला है।यह उत्तरपूर्वी उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र के 11 ज़िलों और नेपाल में उगाया जाता है। यह भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्रणाली के तहत संरक्षित है।

काला नमक (Black Rice) चावल की खासियत ये है कि धान के इस विशेष किस्म को बिना खाद और कीटनाशकों की मदद से उगाया जाता है और जैविक खेती के लिए यह पूरी तरह उपयुक्त प्राचीन किस्म है. जैविक खेती होने की वजह से इसकी खेती में खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं होता है जिसके चलते किसानों की जेब का बोझ भी कम हो पड़ता है ,इसकी एक विशेषता यह है कि इसमें तना सड़न या भूरा धब्बा रोग होने जैसी कोई शिकायत नहीं होती है।

काला नमक (Black Rice) से स्वास्थ्य लाभ /गुणकारी चावल के फायदे , न्यूट्रिशनल वैल्यू:

(Health Benefits Of Kala Namak Rice)

कालानमक चावल के स्वास्थ्य लाभ: ‘काला नमक’ चावल एक पौष्टिक अनाज है और चावल की यह किस्म कई बीमारियों में लाभकारी माना जाता है। इसलिए इसको ‘सुपरफूड की संज्ञा’ दी जाती है। बीते कुछ समय से काला नमक चावल काफी चर्चा में है और अब डॉक्टरों द्वारा काला नमक चावल (Black Rice) के सेवन की सलाह दे रहे हैं।

कालानमक चावल एंथोसायनिन की तरह एक एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करता है, जो हृदय रोग की रोकथाम और त्वचा की देखभाल में सहायता करता है।

एक रिसर्च में पाया गया कि कॉफी और चाय की तुलना में काला नमक (Black Rice) चावल में अधिक एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जिसके कारण स्वास्थ्य संबंधी कई बीमारियों में इसका इस्तेमाल फायदेमंद होता है। इसके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। काला चावल में सफेद और भूरे चावल की तुलना में आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन ई, विटामिन बी, कैल्शियम और जिंक ज्यादा पाया जाता है।

कालानमक चावल में प्रोटीन (protein in rice), जिंक और आयरन जैसे बहुत सारे सूक्ष्म पोषक तत्त्व शामिल होते हैं। नतीजतन, इस चावल को खाने से प्रोटीन,जिंक और आयरन की कमी से होने वाली बीमारी से भी बचाव करता है,इसीलिए यह कमजोरी दूर करने वाला अनाज है। (Rice to fight weakness)

ब्लड डिसॉर्डर्स (Blood disorders) या खून से जुड़ी गड़बड़ियों को कम करने के लिहाज से काला नमक चावल का सेवन लाभकारी माना जाता है।

ऐसा दावा किया जाता है कि नियमित रूप से कालानामक चावल खाने से अल्जाइमर रोग की रोकथाम में मदद मिल सकती है।

कालानमक चावल शरीर को मज़बूत बनाने और गैल्वनाइज़ करने में मदद कर सकता है, साथ ही रक्तचाप, मधुमेह एवं त्वचा की क्षति को नियंत्रित करने में भी मदद कर सकता है।

काला नमक धान/चावल पर अनुसंधान पर मिली सफलता

कालानमक चावल हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने उत्तर प्रदेश में कालानमक चावल की दो नई बौनी किस्मों, पूसा नरेंद्र कालानमक 1638 और पूसा नरेंद्र कालानमक 1652 का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जो दोगुनी उपज देती हैं।

कालानमक चावल से संबंधित अन्य महत्त्वपूर्ण जानकारी

कालानमक धान की पारंपरिक किस्म के साथ समस्या यह है कि यह लंबा होता है और लॉजिंग के लिये प्रवण है, जो अनाज के गठन और गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित करता है।

लॉजिंग एक ऐसी स्थिति है जिसमें अनाज के गठन के कारण पौधे का शीर्ष भारी हो जाता है, तना कमज़ोर हो जाता है और पौधा ज़मीन पर गिर जाता है।

यह सिद्धार्थ नगर का “ एक जनपद- एक उत्पाद” है, जिसे निर्यात किया जाता है।चावल शुगर फ्री,आयरन और जिंक क्रमशः 4 और 3 गुना पाया जाता है।मुलायमपन (ऐमिलोज़) 18% है जबकि बासमती का एमिलोज़ 24% है।

पकने के बाद ठंडा होने पर भी कालानमक चावल का भात मुलायम रहता है जबकि बासमती का भात ठंडा होने पर कड़ा हो जाता है। औषधीय गुणों और अरोमा में कालानमक के सामने बासमती कही नहीं ठहरती।

यह विश्व का इकलौता चावल है, जिसमे विटामिन A पाया जाता है और प्रोटीन लगभग दाल के बराबर मिलती है। ग्लाइसेमिक इंडेक्स 49-51 % होने के कारण यह “शुगर- फ्री” है। सामान्य चावल चावल में ग्लाइसेमिक इंडेक्स 85% और गेंहूँ की रोटी में 70-72% होता है जिसके कारण डायबिटिक लोगों के लिए सेवन करना ठीक नहीं है, परंतु कालानमक चावल खा सकते हैं।

सिद्धार्थनगर का काला नमक सबसे अच्छा माना जाता है।बस्ती, गोरखपुर और देवीपाटान (गोंडा) इसके GI एरिया में आते है।

ब्रिटिश- काल में इसकी खेती अंग्रेज जमीदारों एच डब्लू पे, कैंपियर,मिस्टर फेरेंड, ब्रिजमैन,विलियम बर्ड, हैमफ़्री द्वारा की जाती थी जिनके नाम पर पीपी गंज, कैम्पियर गंज, फ़रेंदा, बृजमन गंज और सिद्धार्थनगर का बर्डपुर क़स्बे बसे है। ये अंग्रेज जमीदार कालानमक के गुणों से भलीभाति परिचित थे, जिसके कारण उन्होंने बासमती के बजाय “कालानमक” की खेती की और ब्रिटेन को निर्यात किया।

आज़ादी के बाद सिचाई की कमीं के कारण इसकी खेती कम होती चली गई और पर्यावरण में बदलाव के कारण इसका अरोमा भी कम हुआ।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ MYogiAdityanath जी ने बुद्धकालीन धान की खेती को बढ़ावा दिया, जिसके कारण इसका उत्पादन पुनः ज़ोर पकड़ गया और “बुद्धाराइस ” ब्रांड नाम से निर्यात किया जा रहा है।

पिपरहवा( कपिलवस्तु) की खुदाई 1972 में की गई थी, जहाँ बुद्ध स्तूप, महाराज शुद्घोधन का महल निकला। वहाँ कालानमक चावल भी मिला जो कार्बोनाइज्ड हो चुका था, परंतु वैज्ञानिक परीक्षण से “कालानमक” प्रमाणित हुआ।

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